एक आदमी सुबह सुबह समुद्र के किनारे टहल रहा था. उसने देखा कि लहरों के साथ सैकड़ों स्टार मछलियाँ तट पर आ जाती है, जब लहरें पीछे जाती है तो मछलियाँ किनारे पर ही रह जाती है, और धूप से मर जाती है. लहरे उसी समय लौटी थी, और स्टार मछलियाँ अभी जीवित थी. वह आदमी कुछ कदम आगे बढ़ा, उसने एक मछली उठाई और पानी में फैंक दी. वह ऐसा बार बार करता रहा. उस आदमी के ठीक पीछे एक और आदमी था, जो यह नहीं समझ पा रहा था कि वह क्या कर रहा है. वह उसके पास आया और पूछा तुम क्या कर रहे हो? यहाँ तो सैंकड़ो स्टार मछलियाँ है. तुम कितनों को बचा सकोगे? तुम्हारे ऐसा करने से क्या फर्क़ पड़ेगा? "उस आदमी ने कुछ नहीं जवाब दिया, दो कदम आगे बढ़कर उसने एक और मछली को उठा कर पानी में फेंक दिया, और बोला, इससे इस एक मछली को तो फर्क़ पड़ता है!"
हम कौन - सा फर्क़ डाल रहे हैं? बड़ा या छोटा, इससे कोई फर्क़ नहीं पड़ता.
अगर हम लोग थोड़ा - थोड़ा फर्क़ लाएँ, तो बहुत बड़ा फर्क़ पड़ेगा.
क्या आप का जीवन बचाने लायक है? (IS YOUR LIFE WORTH SAVING?)
एक लड़का नदी में डूब रहा था वह मदद के लिए चिल्लाया. एक आदमी, जो उधर से गुजर रहा था, नदी में कूद पड़ा, और उसने लड़के को बचा लिया.
जब वह आदमी जाने लगा तो बच्चे ने कहा, धन्यवाद|"
उस आदमी ने पूछा, किस लिए?" लड़के ने जवाब दिया, मेरी जिंदगी बचाने के लिए |" उस आदमी ने लड़के की आंखों में देखा और कहा,"बेटा, जब तुम बड़े हो जाओ, तो इस बात को साबित करना कि तुम्हारी जिंदगी बचाने लायक थी |"
यह सोचने का समय है. यह सचेत होने का समय है.
आत्म संतुष्टि के बिना सफलता ब्यर्थ है. यदि जीवन का कोई अर्थ और उद्देश्य न हो, तो आप कितना भी सम्मान, पैसा और शिक्षा प्राप्त कर लें, आपको जिंदगी में खालीपन और उदासी ही महसूस होगी. सेहत, पैसा, परिवार, समाज और जीवन मूल्यों के बारे में अपनी ब्यक्तिगत सफलता की philosophy
बनाने से ही सफलता की शुरुआत होती है.
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