आपको कामयाब बनाने वाली खूबियां=
नेपोलियन हिल ने लिखा है इंसान का दिमाग जिन
चीजों को सोच सकता है.
या जिन चीजों पर यकीन कर सकता है उन्हें हासिल भी कर सकता है.
एक युवक ने सुकरात से सफलता का रहस्य पूछा?
सुकरात ने उससे दूसरे दिन सुबह नदी के किनारे मिलने के लिए कहा
युवक सुकरात से मिलने नदी के किनारे पहुंचा,
तो उन्होंने उसे नदी की ओर चलने के लिए कहा.
जब पानी उनकी गर्दन तक पहुंच गया तो सुकरात ने अचानक युवक का सिर पानी में डुबो दिया.
युवक पानी से बाहर निकलने के लिए छटपटाने लगा पर सुकरात काफी मजबूत थे उन्होंने युवक को पानी में डूबोए रखा.
जब युवक का शरीर नीला पड़ने लगा तब सुकरात ने उसका सिर पानी से बाहर निकाल लिया.
सिर पानी से बाहर निकलते ही युवक ने सबसे पहले हवा में एक गहरी सांस ली.
सुकरात ने युवक से पूछा जब तुम पानी के अंदर थे तो तुम्हें किस चीज की जरूरत सबसे ज्यादा महसूस हो रही थी?
युवक ने जवाब दिया हवा की..
सुकरात ने कहा सफलता का यही रहस्य है
जब तुम्हें सफलता हासिल करने की वैसी ही तीव्र इच्छा होगी
जैसे कि पानी के अंदर हवा के लिए हो रही थी,
तब तुम्हें सफलता मिल जाएगी|
गहरी इच्छा हर उपलब्धि की शुरुआती बिंदु होती है.
इस तरह आग की छोटी लपटें अधिक गर्मी नहीं दे सकती वैसे ही कमजोर इच्छा बड़े नतीजे नहीं दे सकती |
कड़ी मेहनत=
मैं भाग्य के बारे में कुछ नहीं जानता मैंने इस पर कभी भरोसा नहीं किया
और जो लोग इस पर ऐतबार करते हैं मुझे उनसे
डर लगता है. मेरे लिए भाग्य का मतलब है
कड़ी मेहनत और अवसर की पहचान.
सफलता इत्तेफाक से मिलने वाली चीज नहीं है
इसे पाने के लिए काफी तैयारी और चरित्र की जरूरत होती है.
ज्यादातर लोग जीतना तो चाहते हैं लेकिन जीत हासिल करने के लिए मेहनत और वक्त नहीं लगाना चाहते,
मेहनत का कोई विकल्प नहीं है
हेनरी फोर्ड ने कहा था आप जितनी कड़ी मेहनत करोगे
भाग्य आप पर उतना ही मेहरबान होगा.
Story. 1
एक आदमी के मरने के बाद सेंट पीटर ने उससे पूछा
कि तुम स्वर्ग में जाना चाहोगे या नर्क में
उस आदमी ने पूछा कि फैसला करने से पहले क्या मैं दोनों जगह देख सकता हूं
सेंट पीटर पहले उसे नर्क में ले गए,
वहां उसने एक बहुत बड़ा हॉल देखा जिसमें एक बड़ी मेज पर तरह-तरह की खाने की चीजें रखी थी.
उसने पीले और उदास चेहरे वाले लोगों की कतारें भी देखी.
वह बहुत भूखे जान पढ़ रहे थे, और वहां कोई हंसी खुशी न थी.
उसने एक और बात पर गौर किया कि उनके हाथों में 4 फुट लंबे कांटे और छुरिया बंधी थी.
जीनसे वह मेज के नीचे पड़े खाने को खाने की कोशिश कर रहे थे.
मगर वह खा नहीं पा रहे थे. फिर आदमी स्वर्ग में देखने गया.
वहां भी एक बड़े हॉल में एक बड़ी मेज पर ढेर सारा खाना लगा था.
उसने दोनों तरफ लोगों की लंबी कतारें देखी,
जिनके हाथों में 4 फुट लंबी छूरीऔर कांटे बंधे हुए थे,
ये लोग खाना लेकर मेज की दूसरी तरफ से एक दूसरे को खाना खिला रहे थे.
जिसका नतीजा था खुशहाली समृद्धि आनंद और संतुष्टि.
वे सिर्फ अपने बारे में ही नहीं सोच रहे थे बल्कि सब की जीत के बारे में सोच रहे थे.
यही बात हमारे जीवन पर भी लागू होती है जब हम अपने ग्राहकों, अपने परिवार, अपने मालिक, अपने कर्मचारियों, की सेवा करते हैं तो हमें जीत खुद ब खुद मिल जाती है.
दोस्त पाने के लिए दोस्त बने=
हम हमेशा अच्छे मालिक कर्मचारी जीवनसाथी मां-बाप और बच्चे चाहते हैं.
हम यह भूल जाते हैं कि हमें भी अच्छा इंसान बनने की जरूरत है.
तजुर्बा यही बताता है कि कोई इंसान पूरा नहीं होता,
कोई नौकरी हर लिहाज से अच्छी नहीं होती और कोई जीवन साथी भी सभी गुणों से भरपूर नहीं होता.
जब हम पूर्णता की तलाश करते हैं तो हमें निराशा ही हाथ लगती है.
क्योंकि तब हमारे हाथ एक तरह की परेशानी के बदले दूसरे तरह की परेशानी लगती है.
जब लोग दूसरी शादी करते हैं तो पाते हैं कि उनके नए जीवन साथी में पहले जीवन साथी वाली कमियां तो शायद न हो,लेकिन दूसरे तरह की बहुत सी कमियां होती है.
इसी तरह हम लोग नौकरिया बदलते हैं या कर्मचारियों को नौकरी से यह सोचकर निकालते हैं कि बदले में बेहतरी मिलेगी.
लेकिन उन्हें पता चलता है कि एक कमी से छुटकारा पाया तो दूसरी गले पड़ गई.
चलिए इन चुनौतियों का सामना करने की कोशिश करें,
तलाक और नौकरी से निकालने जैसे कदमों को पहला नहीं बल्कि आखिरी सहारा बनाएं.
त्याग(sacrifice)
दोस्ती त्याग मांगती है और इम्तिहान लेती है.
दोस्ती और रिश्ते बनाए रखने के लिए त्याग निष्ठा और समझदारी की जरूरत पड़ती है.
त्याग बस यूं ही की जाने वाली चीज नहीं है.
इसके लिए अपनी आसानिया कुर्बान करनी पड़ती है.
स्वार्थ की भावना दोस्ती को तोड़ देती है.
हल्के फुल्के रिश्ते तो आसानी से बन जाते हैं,
लेकिन सच्ची दोस्ती बनाने और कायम रखने के लिए समय और प्रयास की जरूरत होती है.
दोस्ती इम्तिहान की घड़ियों से गुजर कर ही मजबूत बनती है.हमें झूठे रिश्तो को पहचानना सीखना चाहिए.
सच्चे दोस्त कभी अपने दोस्तों का नुकसान नहीं चाहते.
सच्ची दोस्ती जितना लेती है उससे ज्यादा देती है और परेशानियों में भी मजबूती से टिकी रहती है.
मुंह से निकले शब्द वापस नहीं लिए जा सकते=
एक किसान ने अपने पड़ोसी की निंदा की.
अपनी गलती का एहसास होने पर वह पादरी के पास क्षमा मांगने गया.
पादरी ने उससे कहा कि वह पंखों से भरा एक थैला शहर के बीचोबीच बिखेर दें.
किसान ने वही किया फिर पादरी ने कहा कि जाओ और सभी पंख थैले में भर लाओ,
किसान ने ऐसा करने की बहुत कोशिश की मगर सारे पंख हवा से इधर-उधर उड़ गए थे.
जब वह खाली थैला लेकर लौटा तो पादरी ने कहा कि यही बात हमारे जीवन पर भी लागू होती है.
तुमने बात तो आसानी से कह दी लेकिन उसे वापस नहीं ले सकते, इस लिए शब्दों के चुनाव में ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए.
Story.2
एक भिखारी एक स्टेशन पर पेंसिलो से भरा कटोरा लेकर बैठा हुआ था.
एक युवा अधिकारी उधर से गुजरा और उसने कटोरे में एक डॉलर दिया,
लेकिन उसने कोई पेंसिल नहीं ली.
उसके बाद वह ट्रेन में बैठ गया.
डिब्बे का दरवाजा बंद ही होने वाला था कि अधिकारी एकाएक ट्रेन से उतरकर भिखारी के पास लौटा और कुछ पेंसिले उठाकर बोला,
मैं कुछ पेंसिले लूंगा इनकी कीमत क्या है आखिरकार तुम एक व्यापारी हो और मैं भी.
उसके बाद वह तेजी से ट्रेन में चल गया. छ: महीने बाद वह
अधिकारी एक पार्टी में गया. वह भिखारी भी
वहाँ पर सूट और टाई पहने हुए मौजूद था.
भिखारी ने उस अधिकारी को पहचान लिया.
उसके पास जाकर बोला आप शायद मुझे नहीं पहचान रहे हैं लेकिन मैं आपको पहचानता हूं.
उसके बाद उसने 6 महीने पहले घटी घटना का जिक्र किया.
अधिकारी ने कहा तुम्हारे याद दिलाने पर मुझे याद आ रहा है कि तुम भीख मांग रहे थे.
तुम यहाँ सूट और टाइम में क्या कर रहे हो?
भिखारी ने जवाब दिया आपको शायद मालूम नहीं है कि आपने मेरे लिए उस दिन क्या किया.
मुझे दान देने के बजाय आप मेरे साथ सम्मान के साथ पेश आए. आपने कटोरे से पेंसिलें उठाकर
कहा, इनकी कीमत है,
कटोरे से पेंसिले उठाकर कहा, आखिरकार तुम भी एक व्यापारी हो और मैं भी.
आपके जाने के बाद मैंने सोचा मैं यहां क्या कर रहा हूं.
मैं भीख क्यों मांग रहा हूं? मैंने अपनी जिंदगी को संवारने के लिए कुछ अच्छा काम करने का फैसला लिया.
मैंने अपना झोला उठाया और काम करने लगा.
आज मैं यहां मौजूद हूं मुझे मेरा सम्मान लौटाने के लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूं.
उस घटना ने मेरा जीवन बदल दिया. भिखरी की जिंदगी में क्या बदलाव आया?
बदलाव यह आया कि उसका आत्मसम्मान जग गया और उसके साथ ही उसके कार्य क्षमता भी बढ़ गई.
हमारी जिंदगी में आत्मसम्मान इसी तरह का जादुई असर डालता है.
आत्म सम्मान और कुछ नहीं बल्कि खुद अपने बारे में हमारी सोच है अपने बारे में हमारी जो राय होती है उसका हमारी काम करने की शक्ति रिश्तो मां बाप के रूप में हमारी भूमिका जिंदगी में हमारी उपलब्धियों यानी हर चीज पर काफी गहरा असर पड़ता है.
ऊंचे दर्जे के आत्मसम्मान से जिंदगी खुशहाल संतुष्ट और मकसद से भरी जिंदगी बनती है
हम अगर खुद को मूल्यवान नही मानते तो हम में ऊंचे दर्जे का स्वाभिमान भी पैदा नहीं होगा.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें